Thursday 24 July 2014

वास्तु शास्त्र एवं वास्तुदेव की विशेषताएँ – भाग-4



वास्तु शास्त्र एवं वास्तुदेव की विशेषताएँ भाग-4


16-स्नानागार या स्नान कक्ष
17-भूमिगत जल भंडारण (अंडर ग्राउंड वाटर स्टोरेज टैंक)
18-छत के ऊपर पानी की टंकी (ओवर हैड टैंक)
19-मकान में अन्य कमरों का स्थान
20-तहखाना या तलघर (बेसमेंट)

  

16-स्नानागार या स्नान कक्ष: -


·        स्नान कक्ष घर के अन्दर व् बाहर दोनों ही जगह पर बना सकते हैं | घर के अन्दर शयन कक्ष के साथ बनाना हो तो स्नान कक्ष को शयन कक्ष के पूर्व या उत्तर की ओर  या फिर उत्तर पूर्व की तरफ बनाना  चाहिये  एवं पानी का निकास या बहाव उत्तर पूर्व की ओर होना चाहिये |
·        अगर स्नान कक्ष को भवन के बाहर की तरफ बनाना हो तो स्नान कक्ष को उत्तर पूर्व के कोने में बनाना चाहिये ,अगर स्नान कक्ष में बायलर या गीजर लगाना होतो उसको स्नान कक्ष के दक्षिणी - पूर्व कोने में लगाना चाहिये | पूर्व , उत्तर या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में बने हुये स्नानकक्ष में अन्दर पानी गर्म करने के लिये चूल्हा नहीं होना चाहिये ये शुभ नहीं रहता है केवल गीजर ही दक्षिणी -पूर्वी कोने में लगा सकते हैं |
·        स्नानकक्ष को कभी भी उत्तर -पश्चिम क्षेत्र में निर्मित नहीं करना चाहिये , अगर निर्मित करना ही पड़े तो उसमें स्नान करके पानी भरा हुआ नहीं रहन चाहिये  एवं इसके फर्श का ढाल उत्तर-पूर्वी कोने की ओर होना चाहिये  तथा इसके पानी का बहाव भी उत्तर-पूर्वी कोने की ओर होना चाहिये |
·        स्नानागार एवं शौचालय मकान  के दक्षिण पश्चिम कोने में भी भी अच्छा रहता है  शौचालय मकान के उत्तर -पूर्व कोने में नहीं होना चाहिये | संभव हो सके तो उत्तर या पूर्व की दिशा में भी शौचालय नहीं बनाना चाहिये |
·        शौचालय के लिये दक्षिण-पश्चिम कोना या क्षेत्र ही सर्वोत्तम स्थान है  तथा शौचालय को हमेशा उत्तर से दक्षिण की तरफ ही बनाना चाहिये शौचालय में शौच के लिये जाने वाले व्यक्ति का मुख उत्तर या दक्षिण में ही होना चाहिये ये स्तिथि शुभ रहती है |



17-भूमिगत जल भंडारण (अंडर ग्राउंड वाटर स्टोरेज टैंक) :



·        भूमिगत वाटर टैंक भूखंड के उत्तर-पूर्वी कोने में होना चाहिए , लेकिन उसे उत्तर या पूर्व की सीमा की दीवार को नहीं छूना चाहिए अथवा थोडा दूर रखना चाहिए | भूमिगत वाटर टैंक कभी भी दक्षिण पूर्व (अग्नि कोण )  के कोने  में नहीं बनाना चाहिए , ये बहुत ही अशुभ होता है  इसके बहुत घातक परिणाम होते हैं |
·        भूमिगत वाटर टैंक हमेशा उत्तर - पूर्व  के कोने या उत्तर दिशा में ही बनाना चाहिए |  विशेष अपरिहार्य परिस्थितियों में भूमि के ऊपर पानी की टंकी को दक्षिण पश्चिम  और उत्तर पश्चिम के क्षेत्रों  में रखा जा सकता है |




18-छत के ऊपर पानी की टंकी (ओवर हैड टैंक):-


·        पानी का संग्रह करने के लिए टैंक का निर्माण मकान की छत पर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में या उत्तर -  पश्चिम  क्षेत्र में कर सकते हैं |
·        उत्तर-पूर्व  व्  पूर्व दक्षिण  क्षेत्र में ओवर हैड टैंक बनवाना नहीं चाहिए | ये शुभ नहीं रहता है |
·        विशेष परिस्थितियों में अगर अग्नि कोण या ईशान कोण में ओवर हैड टैंक बनवाना हो तो दूसरे अन्य कोनों की ऊँचाई व् भार को अधिक करना होगा | क्योंकि ईशान कोण अधिक भारी नहीं होना चाहिए | ये शुभ नहीं रहता है |
19-मकान में अन्य कमरों का स्थान:-
·        मकान में पुस्तकालय या अध्ययन कक्ष का निर्माण दक्षिण पश्चिमी भाग के निकट के भाग तथा पश्चिमी भाग में करवाना अच्छा रहता है |
·        पुस्तकालय या अध्ययन कक्ष की दीवारों को हरा रंग करना चाहिए | अध्ययन कक्ष में उत्तर की ओर मुंह करके अध्ययन करना चाहिए ये शुभ एवे अच्छा रहता है | 
·        अध्ययन कक्ष का द्वार पूर्व  या उत्तर में अच्छा रहता है |
·        मकान में तिजोरी का कमरा उत्तरी भाग में बनवाना चाहिए क्योंकि कुबेर का स्थान उत्तर में स्तिथ है | तिजोरी कक्ष का द्वार पूर्व या उत्तर की ओर होना चाहिए |
·        बरामदों में पूर्वी बरामदे की अपेक्षा पश्चिमी बरामदे की ऊँचाई एवं चौड़ाई  थोडी अधिक  होनी  चाहिये  एवं इसी प्रकार उत्तर के बरामदे की अपेक्षा दक्षिण की तरफ वाले  बरामदे  की ऊँचाई एवं चौड़ाई भी  थोडी अधिक  होनी  चाहिये |
·        दक्षिणबालकनी की अपेक्षा उत्तरी बालकनी की चौड़ाई अधिक होनी चाहिये तथा पश्चिमी बालकनी की अपेक्षा पूर्व की बालकनी की चौड़ाई अधिक होनी चाहिये |

20-तहखाना या तलघर (बेसमेंट) :-  

·        तहखाना (सेलर ) या तलघर की मंजिल भूमि स्तर की मंजिल के उत्तरी पूर्वी भाग में होनी चाहिए , लेकिन दक्षिण या दक्षिण पूर्व भाग में नहीं होना चाहिए |
·        तलघर  या बेसमेंट भूखंड के पूर्वी भाग में भी अच्छा रहत है | जब भूखंड के पूरे भाग में तलघर बनाना हो तो उसके दक्षिण पश्चिम  भाग में भारी वस्तुएं रखनी चाहिए  एवं उत्तर पूर्व के पार्श्व भाग को खुला  रखना चाहिए , ये शुभ रहता है |
·        तलघर या बेसमेंट में दक्षिण पूर्वी कोने को बिजली के यन्त्र या ट्रांसफोर्मर  या आग या ताप से सम्बंधित किसी भी चीज के लिए करना चाहिए |
·        सड़क से सामने पड़ने वाले तलघर में प्रवेश द्वार को उसके मध्य से बनाना ठीक रहता है | एवं उसके दक्षिण-पश्चिम कोने को थोडा ऊंचा रखना चाहिए |
·        अगर  तलघर में किसी प्रकार का जल संग्रह करने का टैंक बनाना हो तो उसको हमेशा उत्तर पूर्व के कोने में या उत्तर दिशा में बनाना चाहिए | वैसे तो मकान में कभी भी सम्पूर्ण भूखंड में तलघर या बेसमेंट नहीं बनाना चाहिए |
·        भूखंड के आधे भाग से ज्यादा भाग में तलघर या बेसमेंट नहीं बनाना चाहिए | तलघर का उपयोग हो सके तो कभी भी निवास स्थान या रहने के लिए नहीं करना चाहिए | ये वास्तु की दृष्टीकोण से ठीक नहीं रहता है |

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